इतनी सुन कै तो मनै फटाफट डा.सुरेन्द्र दलाल के पास फोन मारा- डा। साहब यू सरसों में के नया राशा भेज दिया। दीपक तो इसनै खरपतवार बतावै सै। "सही बतावै सै दीपक।" डा.दलाल नै सहजता से जबाब दिया। " रणबीर यू सरसों क़ी फसल का खरपतवार सै। आज ही हमनै भी इस खरपतवार को पहली बार निडानी क़ी थली पर टेकराम, सतबीर, चाँद, महाबीर व् जयभगवान क़ी सरसों के खेतों में देखा सै। इस मौके पर उपमंडल कृषि अधिकारी, जींद डा.सुरेन्द्र मलिक भी साथ थे। वे अपने साथ इसका सैम्पल भी साथ लेकर गये हैं। रणबीर, यू खरपतवार परजीवी किस्म का सै। मतलब यह खरपतवार अपना भोजन नही बनाता। यू तो सरसों के पौधे क़ी जड़ों से ही अपनी खुराक खींचता है। बीज से पैदा होने वाला यह पौधा जमीन के अंदर रहकर ही सरसों क़ी जड़ों से अपना गुज़ारा करता है तथा वंशवृद्धि के लिए बीज पैदा करने के लिए ही जमीन से बाहर आता है। इसका बीज बहुत बारीक़ होता है तथा सरसों पकने से पहले ही खेत में बिखर कर अगली पीढ़ी के रास्ते खोलता है। या बात तेरी सही सै अक इसकी पंखुड़ियों का रंग हल्का जामनी होता है तथा दीपक क़ी या बात भी सही सै अक यह परजीवी खरपतवार सरसों क़ी फसल में दादरी, झज्जर, लोहारू, रिवाड़ी व् बावल आदि इलाकों में पाया जाता है। किसान इसे रुखड़ी के नाम से जानते हैं। इसे मरगोज़ा भी खा जाता है। नामकरण क़ी द्विपदी प्रणाली मुताबिक इसका नाम Orobanche aegyptica है।"
"रणबीर, सरसों के पौधे क़ी जड़ों के साथ अपना कनेक्शन जोड़ कर अपने आश्रयदाता से खुराक व् पानी खींचता है। आधी उम्र तक जमीन में लुक कर तथा आदि उम्र में चौड़े-चुगान जमीन से सर ऊपर उठा कर। इब आप ही बताओ अक यू सरसों में भात भरेगा या नुकशान करेगा।"
"इसका इलाज के हो डा.साहिब।' मनै बीच में ही बात काटी।
फोन के उस सिरे से डा.दलाल क़ी आवाज़ आई,"रणबीर, इस खरपतवार ताहि इस धरती पर इब तक तो कोई खरपतवारनाशी बना नही। बीजमारी के जरिये ही इस पर काबू पाया जा सकता है। इस पौधे के बीज बन्ने से पहले ही इसे काट करके इक्कठा करे व् जला दे। या फिर इस खेत में इस परजीवी खरपतवार के आश्रयदाता सरसों क़ी बजे चन्ना, जों व् गेहूं क़ी फसल लेनी चाहियें। ना रहेगा बांस- न बजेगी बांसुरी।"
इस खरपतवार को मैंने पहलीबार सन 2007 में अमदल शाह पुर गाँव में राम भगत जी के खेतों में देखा था, वो लोग इस को प्रयोग पशुओं का दूध बढ़ने में करते हैं, इस परम्परागत ज्ञान का प्रयोग झज्जर , अहीरवाल के इलाके में किया जाता है | इसकी बढवार को रोकने के लिए किसान सरसों के बीज को सोयाबीन या अरंडी के तेल में भिगो कर बुवाई करते हैं | इसकी अधिक जानकारी श्री रामभगत जी से संपर्क करके ली जा सकती है , उनका मोबाइल नंबर 09813462348 है |
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